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भारतीय रेलवे की चीन सीमा तक 100 KMH रफ्तार वाली ट्रेन, पहाड़ी ट्रैक पर तेजी से काम जारी

News Desk
Last updated: 2025/01/04 at 10:00 PM
News Desk
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7 Min Read
भारतीय रेलवे की चीन सीमा तक 100 KMH रफ्तार वाली ट्रेन, पहाड़ी ट्रैक पर तेजी से काम जारी
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Indian Railway: सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नार्थ ईस्ट में भारतीय रेल ने बड़ी तैयारी की है. चीन से सटे इलाकों तक ट्रैक बिछाने का काम तेजी से चल रहा है. रेलवे का दावा है कि कम समय में नॉर्थ ईस्ट के इलाकों में अधिक दूरी तय किया जा सकेगा. रेलवे के ने बताया कि पहाड़ी इलाके होने के बावजूद रेलवे की ओर से ऐसे ट्रैक बनाए जा रहे हैं जिससे कि 100 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेनों का परिचालन हो सके. तिब्बत की सीमा पर सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण दो बिन्दु- नाथू ला और तवांग तक रेलवे लाइन बिछाने की परियोजनाएं चल रही है. आंकड़ों के अनुसार, 01 अप्रैल 2025 तक कुल 1368 किलोमीटर लंबी और 74 हजार 972 करोड़ रुपए लागत वाली 18 परियोजनाएं (13 नई लाइनें और 5 दोहरीकरण) निर्माण चरण में हैं, जिनमें से मार्च 2024 तक 313 किलोमीटर लंबी परियोजनाएं चालू हो गई है और 40 हजार 549 करोड़ रुपए खर्च हो चुका है.

तेजी से हो रहा है विद्युतीकरण

भारत के सुदूर पूर्वोत्तर क्षेत्र की कठिन पहाड़ी भौगोलिक चुनौतियों का सामना करते हुए भारतीय रेलवे चट्टानों को तोड़ कर, पहाड़ को चीर कर और नदियों को लांघ कर तेजी से आठों राज्यों को रेल नेटवर्क का विस्तार एवं विद्युतीकरण करने में जुटी है. बीते दस साल में पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेलवे के विकास की रफ्तार ढाई गुना बढ़ी है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेलवे अवसंरचना परियोजनाओं का भारतीय रेल के पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे जोन क्रियान्वयन कर रहा है. यदि 21 वीं सदी में रेलवे की प्रगति के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2009-14 के दौरान औसतन हर साल 2122 करोड़ रुपए आवंटित किए गए. वहीं, 66.6 किलोमीटर प्रति वर्ष की दर से 333 किलोमीटर नेटवर्क का विस्तार किया गया. जबकि साल 2024-25 तक सालाना आवंटन लगभग 5 गुना बढ़ा कर 10 हजार 376 करोड़ रुपए कर दिया गया और 172.8 किलोमीटर हर साल के हिसाब से 1728 किलोमीटर नई लाइनें बिछाई गई. इस हिसाब से 2014 के बाद से पूर्वोत्तर क्षेत्र में आवंटन और काम ढाई गुना अधिक रहा है.

प्रधानमंत्री का है विशेष ध्यान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नार्थ ईस्ट को भारत का ग्रोथ इंजन बताया. पूर्वोत्तर के आठ राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा को अष्टलक्ष्मी कह कर संबोधित किया है. वहीं, पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रमुख परियोजनाओं में ताजा प्रगति असम के दरांग जिले से गुजरने वाली अगथोरी-डेकारगांव  (155KM) नई रेल लाइन परियोजना में हुई है. इस परियोजना के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे को मंजूरी दे दी गई है.

अरुणाचल में नाहरलागुन तक रेलवे लाइन पहुंची

इसी तरह से भैरवी-साईरंग रेल परियोजना पूर्ण होने की ओर अग्रसर है जिससे मिजोरम को निर्बाध रेल संपर्क मिलेगा. अगरतला को ब्रॉडगेज कनेक्टिविटी मिली और अगरतला से बांग्लादेश के अखौरा तक सीमापार लाइन भी बन चुकी है. हालांकि, पड़ोसी देश के राजनीतिक हालात बदलने से फिलहाल कोई आशा नहीं है. नागालैंड में 100 साल के बाद में दूसरा ब्रॉडगेज रेलवे स्टेशन बना. मणिपुर में खोंगसांग तक रेलवे लाइन पहले ही पहुंच चुकी है. वहीं, अरुणाचल प्रदेश में नाहरलागुन तक रेलवे लाइन पहुंच चुकी है. इसी तरह सिक्किम के रंगपो को पश्चिम बंगाल के सिवाक से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है. करीब 45 किलोमीटर लंबी सिवोक-रंगपो लाइन सिक्किम और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरेगा. इस परियोजना में 28 पुल और 14 सुरंगें होंगी. इस लाइन का निर्माण कंचनजंघा पर्वत श्रृंखला की तलहटी और तीस्ता नदी घाटी से होकर किया जा रहा है.

चीन के पास तक तेजी से पहुंचा जा सकता है

सरकार ने तिब्बत की सीमा पर प्राचीन रेशम मार्ग के द्वार नाथू ला तक रेल लाइन परियोजना को स्वीकृति दी है. जबकि रंगपो से गंगटोक की लाइन पर जल्द काम शुरू होने की उम्मीद है. गंगटोक से नाथू ला तक करीब 160 किलोमीटर की लाइन का सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है. इस लाइन का निर्माण ऐसी डिजाइन से किया जा रहा है जिस पर ट्रेन 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से दौड़ सके. इस परियोजना से जुड़े उच्चाधिकारियों का मानना है कि गंगटोक तक रेल लाइन बन जाने से गंगटोक एवं सिलीगुड़ी के बीच यात्रा का समय डेढ़ से दो घंटे में रह जाएगा जो अभी सड़क मार्ग से साढ़े तीन से चार घंटे लगते हैं. परियोजना में सिक्किम के पहले रंगपो रेलवे स्टेशन की डिजाइन भी तैयार हो गई है जो पारंपरिक सिक्किमी बौद्ध शैली की है. यह स्टेशन दूर से एक पैगोडा की भांति नजर आएगा.

नॉर्थ ईस्ट की इन परियोजना पर काम

साल 2019 में, मोदी सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में तीन रेलवे परियोजनाओं को हरी झंडी दी, जिनमें 378 किलोमीटर लंबी भालुकपोंग-तवांग लाइन, 248 किलोमीटर लंबी उत्तर लखीमपुर-सिलापाथर लाइन और 227 किलोमीटर लंबी पासीघाट-रुपई लाइन शामिल हैं. मुरकोंगसेलेक-पासीघाट लाइन असम के धेमाजी जिले के मुरकोंगसेलेक से अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट ज़िले को जोड़ेगी. इस लाइन की लंबाई 26.15 किलोमीटर है और इसमें चार स्टेशन बनाए जा रहे हैं. इस परियोजना का काम मई, 2025 में पूरा होने का अनुमान है.

भैरवी और साईरंग के बीच 51.38 किलोमीटर लंबी नई लाइन को चार सेक्शनों में विभाजित किया गया है, जिसमें भैरवी-हांरटोकी, होस्टोको कौनपूई, कौनपुई मुआलखांग और मुआलखांग साईरंग. 17.38 किलोमीटर लंबा भैरवी-होस्टोकी सेक्शन जुलाई, 2024 को पूरा करने के बाद चालू कर दिया गया. वहीं, अगस्त 2024 से रेल सेवा चालू है. पूरी परियोजना एक बार संपूर्ण हो जाने पर यह मिजोरम के लोगों के लिए संचार और वाणिज्य के मामले में एक बड़ी परिवर्तनकारी परियोजना होगी. किफायती और पर्यावरण अनुकूल रेल सेवाओं का इस राज्य में लगभग सभी विकास कार्यों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भैरवी-साईरंग रेल परियोजना में दुर्गम क्षेत्रों में कई सुरंगों और पुलों का निर्माण कार्य शामिल हैं.

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