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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में तकनीकी क्रांति की शुरुआत, राज्य में कृषि क्षेत्र में आधुनिकतम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और स्मार्ट कृषि तकनीकों का होगा उपयोग…

News Desk
Last updated: 2025/03/14 at 10:43 AM
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14 Min Read
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में तकनीकी क्रांति की शुरुआत, राज्य में कृषि क्षेत्र में आधुनिकतम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और स्मार्ट कृषि तकनीकों का होगा उपयोग…
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दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य में कृषि क्षेत्र में तकनीकी क्रांति की शुरुआत हो गई है. आधुनिकतम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और स्मार्ट कृषि तकनीकों का उपयोग अब राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में भी किया जा रहा है. दंतेवाड़ा के किसानों को हाल ही में एआई-आधारित स्मार्ट खेती प्रणाली का लाभ मिला है, जिससे वे बेहतर फसल उत्पादन, जल प्रबंधन, और उर्वरक उपयोग में सुधार कर रहे हैं. सरकार की इस पहल से छोटे और सीमांत किसानों को सबसे अधिक फायदा हो रहा है, क्योंकि वे अब न्यूनतम लागत में अधिक उपज प्राप्त कर पा रहे हैं.

Contents
जैविक कृषि और एआई तकनीक का संगमतकनीक से जुड़ते किसान: एक नए युग की शुरुआतकैसे काम कर रही है एआई आधारित कृषि तकनीक?सरकारी योजनाएं और किसानों को मिलने वाले लाभछत्तीसगढ़ सरकार ने ‘स्मार्ट कृषि मिशन’ के तहत कई योजनाएं लागू की हैं:सरकार की भूमिकाछत्तीसगढ़ सरकार इस पहल को सफल बनाने के लिए कई कदम उठा रही है:किसानों के लिए संभावित लाभकिसानों की राय: नई तकनीक से आया बदलावनीति आयोग और केंद्र सरकार की सराहनाआर्थिक और सामाजिक प्रभावइस तकनीकी पहल से छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा:

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य में कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव हो रहे हैं. विशेष रूप से दंतेवाड़ा के जैविक कृषकों के लिए यह समय नवाचार और तकनीकी उन्नति का साबित हो रहा है. अब यह क्षेत्र पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. यह कदम न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ाने वाला है बल्कि किसानों की आय में भी सुधार लाने वाला है.

एआई आधारित मॉडल के माध्यम से फसलों में रोग और कीटों की पहचान कर समय पर समाधान किया जा सकेगा. एआई आधारित सिस्टम मिट्टी की नमी और मौसम की स्थिति के आधार पर स्वचालित सिंचाई को नियंत्रित करेगा, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा. यील्ड प्रेडिक्शन एआई मॉडल’ के माध्यम से ऐतिहासिक डेटा और मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर फसल उत्पादन का सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा. एआई बाजार की मांग और कीमतों का विश्लेषण कर किसानों को फसल बिक्री के लिए बेहतर मार्गदर्शन देगा.. बुवाई, निराई, कटाई और छंटाई जैसे कार्यों में एआई आधारित ‘रोबोट्स’ का उपयोग श्रम लागत को कम करने में सहायक होगा.

जैविक कृषि और एआई तकनीक का संगम

दंतेवाड़ा में जैविक कृषि पहले से ही लोकप्रिय रही है, लेकिन अब इसे और प्रभावी बनाने के लिए एआई तकनीक का उपयोग किया जाएगा. एआई तकनीक किसानों को मौसम पूर्वानुमान, मिट्टी की गुणवत्ता, जल संसाधन प्रबंधन और फसल सुरक्षा में मदद करेगी. विशेषज्ञों ने बताया कि ‘सैटेलाइट इमेजिंग’ और ‘ड्रोन एआई’ तकनीक के माध्यम से फसल की स्वास्थ्य स्थिति, मिट्टी की गुणवत्ता और पानी की आवश्यकता का सटीक विश्लेषण किया जा सकता है. दंतेवाड़ा जिले में एआई तकनीक का यह प्रयोग न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और संसाधनों के बेहतर उपयोग में भी मददगार साबित होगा.

तकनीक से जुड़ते किसान: एक नए युग की शुरुआत

राज्य सरकार ने कृषि क्षेत्र में स्मार्ट सेंसर, ड्रोन, मिट्टी परीक्षण उपकरण, और एआई-आधारित विश्लेषण टूल उपलब्ध कराए हैं.. इनका उपयोग करके किसान फसलों की सेहत की निगरानी, सटीक सिंचाई, और कीटनाशकों के उचित छिड़काव जैसी सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पहल को “स्मार्ट कृषि मिशन” का नाम दिया है. उन्होंने कहा “छत्तीसगढ़ के किसान हमारी रीढ़ की हड्डी हैं. तकनीक के माध्यम से हम उनकी मेहनत को आसान बना सकते हैं और उनकी आमदनी बढ़ा सकते हैं. दंतेवाड़ा में इस नई तकनीक का सफल परीक्षण हुआ है और अब इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा.”

कैसे काम कर रही है एआई आधारित कृषि तकनीक?

सरकार के सहयोग से दंतेवाड़ा में एआई-सक्षम कृषि उपकरण वितरित किए गए हैं. इन उपकरणों की मदद से किसानों को फसल की सही स्थिति, मिट्टी की नमी, कीट प्रकोप, और जलवायु परिवर्तन की सटीक जानकारी मिल रही है.

  1. ड्रोन और स्मार्ट सेंसर से फसल की निगरानी

दंतेवाड़ा के किसान अब ड्रोन के माध्यम से अपनी फसलों की स्थिति का निरीक्षण कर रहे हैं. ये ड्रोन हवा से खेतों का सर्वेक्षण करते हैं और एआई तकनीक का उपयोग करके किसानों को फसल की सेहत, जल की जरूरत, और उर्वरकों के स्तर की जानकारी प्रदान करते हैं.

स्थानीय किसान रमेश कश्यप बताते हैं “पहले हमें अंदाजा लगाकर सिंचाई करनी पड़ती थी, जिससे पानी की बर्बादी होती थी. अब स्मार्ट सेंसर हमें बताते हैं कि कितनी नमी की जरूरत है. इससे हमारी लागत भी कम हो गई है और उत्पादन भी बढ़ रहा है.”

  1. मिट्टी परीक्षण और एआई से अनुकूलित उर्वरक सुझाव

मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए सरकार ने मृदा परीक्षण किट और एआई-आधारित विश्लेषण टूल्स दिए हैं. अब किसान अपने मोबाइल ऐप पर मिट्टी की गुणवत्ता की रिपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं और उसके अनुसार उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग कर सकते हैं.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. अमित वर्मा कहते हैं “दंतेवाड़ा में अब किसानों को एआई की मदद से यह पता चल रहा है कि उनकी मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है. इससे फसलों को बेहतर पोषण मिल रहा है और पैदावार में 30% तक वृद्धि हुई है.”

  1. एआई चैटबॉट: किसानों का डिजिटल सहायक

सरकार ने किसानों के लिए AI चैटबॉट भी लॉन्च किया है, जो उन्हें 24×7 कृषि संबंधी सलाह देता है. किसान अब अपने मोबाइल पर ही फसल चक्र, जलवायु पूर्वानुमान, और सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

कृषि विभाग के अधिकारी शिव शंकर तिवारी बताते हैं “इस चैटबॉट की मदद से किसानों को समय पर सही जानकारी मिल रही है. इससे वे जलवायु परिवर्तन के असर से बचने के लिए पहले से तैयारी कर सकते हैं.”

सरकारी योजनाएं और किसानों को मिलने वाले लाभ

छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘स्मार्ट कृषि मिशन’ के तहत कई योजनाएं लागू की हैं:

स्मार्ट ड्रोन सेवा: किसानों को सस्ती दरों पर ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि वे कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव में एआई तकनीक का लाभ उठा सकें.
स्मार्ट सिंचाई प्रबंधन: IoT सेंसर आधारित सिंचाई प्रणाली से अब किसानों को जल संकट की समस्या से छुटकारा मिल रहा है.
कृषि हेल्पलाइन और मोबाइल ऐप: किसानों को त्वरित सहायता प्रदान करने के लिए एक नई कृषि हेल्पलाइन और मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया है.

सरकार की भूमिका

छत्तीसगढ़ सरकार इस पहल को सफल बनाने के लिए कई कदम उठा रही है:

  1. तकनीकी प्रशिक्षण – किसानों को एआई तकनीक से परिचित कराने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
  2. वित्तीय सहायता – सरकार किसानों को आवश्यक उपकरण और सॉफ्टवेयर खरीदने में मदद कर रही है.
  3. नवाचार केंद्रों की स्थापना – दंतेवाड़ा में कई एग्रीटेक केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, जहाँ किसान विशेषज्ञों से परामर्श ले सकते हैं.
  4. स्मार्ट ड्रोन सेवा: किसानों को सस्ती दरों पर ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि वे कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव में एआई तकनीक का लाभ उठा सकें.
  5. सिंचाई प्रबंधन: IoT सेंसर आधारित सिंचाई प्रणाली से अब किसानों को जल संकट की समस्या से छुटकारा मिल रहा है.
  6. कृषि हेल्पलाइन और मोबाइल ऐप: किसानों को त्वरित सहायता प्रदान करने के लिए एक नई कृषि हेल्पलाइन और मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया है.

किसानों के लिए संभावित लाभ

  1. उत्पादन में वृद्धि – एआई के माध्यम से फसलों की देखभाल बेहतर तरीके से की जा सकेगी, जिससे पैदावार बढ़ेगी.
  2. खर्च में कमी – सही समय पर सही निर्णय लेने से उर्वरकों, कीटनाशकों और जल की खपत कम होगी.
  3. बाजार तक आसान पहुंच – एआई आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म किसानों को बाजारों से सीधे जोड़ सकते हैं, जिससे उन्हें उचित मूल्य प्राप्त होगा.
  4. पर्यावरण संरक्षण – जैविक कृषि को एआई के साथ जोड़ने से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग को कम किया जा सकेगा.

किसानों की राय: नई तकनीक से आया बदलाव

स्थानीय किसान गोविंद नाग कहते हैं “पहले खेती हमारे लिए सिर्फ परंपरा थी, लेकिन अब यह एक स्मार्ट बिजनेस बन गई है. नई तकनीकों की वजह से हम कम लागत में अधिक उत्पादन कर पा रहे हैं. सरकार की यह पहल हमारे लिए वरदान साबित हो रही है.”

दंतेवाड़ा की महिला किसान ममता देवी बताती हैं “हमने पहली बार ड्रोन और स्मार्ट सेंसर का उपयोग किया है. इससे हमें फसल की स्थिति की पूरी जानकारी मिलती है. यह तकनीक हमें आत्मनिर्भर बना रही है.”

नीति आयोग और केंद्र सरकार की सराहना

राज्य सरकार के इस कदम की नीति आयोग और केंद्र सरकार ने भी सराहना की है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा:”छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एआई तकनीक को कृषि में अपनाना एक क्रांतिकारी कदम है. इससे किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सकेगा.”

केंद्र सरकार के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस पहल को पूरे देश के लिए “एक प्रेरणादायक मॉडल” बताया और कहा कि जल्द ही अन्य राज्यों में भी इसे लागू किया जाएगा.

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

इस तकनीकी पहल से छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा:

किसानों की उत्पादकता में 30-40% की वृद्धि होने का अनुमान है.
कृषि क्षेत्र में युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, क्योंकि ड्रोन संचालन, डेटा विश्लेषण, और स्मार्ट खेती सेवाओं की मांग बढ़ेगी.
राज्य की कृषि निर्यात क्षमता भी बढ़ेगी, जिससे छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नई पहचान मिलेगी.

एआई तकनीक का कृषि में उपयोग किसानों के लिए हर तरफ़ से लाभदायी है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां भी हैं जिसका सामना करने के लिए भी छत्तीसगढ़ की साय सरकार पूरी तरह से तैयार है. किसानों को एआई की जटिलताओं से अवगत कराने के लिए विशेष प्रशिक्षण आवश्यक होगा जिसकी भी शासकीय तैयारी की जा रही है. दंतेवाड़ा जिले के जैविक किसान अब अपनी खेती में आधुनिकतम तकनीक का उपयोग कर खेती को अधिक उत्पादक और कुशल बनाएंगे.

जिला पंचायत सभागार में आयोजित कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों और कृषि अधिकारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. इस कार्यशाला में फसल निगरानी से लेकर आपदा प्रबंधन तक में एआई तकनीक के उपयोग के महत्व पर जोर दिया गया. एआई के जरिये पशुओं के स्वास्थ्य और व्यवहार की निगरानी कर उनकी बीमारियों का समय रहते किस तरह पता लगाया जा सकता है.

कार्यशाला में यह भी बताया जा रहा है कि किस तरह से एआई तकनीक जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में भी कारगर है, जिससे बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं का पूर्वानुमान लगाकर किसानों को समय पर सतर्क किया जा सकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों की उपलब्धता एक बड़ी समस्या थी जिसका भी समाधान किया जा रहा है. एआई आधारित उपकरणों की लागत अधिक हो सकती है इसके लिए भी सरकार सब्सिडी और वित्तीय सहायता का प्रावधान करने जा रही है.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में दंतेवाड़ा के जैविक कृषक एआई तकनीक को अपनाकर कृषि के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं. यह पहल न केवल राज्य की कृषि प्रणाली को आधुनिक बनाएगी, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि करेगी. यदि यह मॉडल सफल होता है, तो इसे पूरे छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है.

इससे भारत की कृषि क्षेत्र को एक नई दिशा मिलेगी और जैविक खेती को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी. दंतेवाड़ा में एआई तकनीक की सफलता से यह स्पष्ट हो गया है कि अब खेती सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक स्मार्ट उद्यम बन रही है. अगर यह मॉडल पूरे राज्य में सफल होता है, तो छत्तीसगढ़ देश के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत कृषि राज्यों में शामिल हो सकता है. यह पहल किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ राज्य की आर्थिक मजबूती में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी.

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